सांसों के लिए संघर्ष मानव ज्ञान की उस सीमा को छू लिया, भौतिक सुखों के हर आयामों को पा लिया, पर प्रतीत होता है कि अभी भी कुछ शेष है,…
वाणी की महिमा-प्रियंका प्रिया
वाणी की महिमा वाणी अमृत बोल है, वाणी रस की खान वाणी से मिलती है, दिलों में पहचान।। वाणी मधुर संगीत है, वाणी मन का गीत वाणी से ही भाता…
हिम्मत और दिव्यांगता-सन्नी कुमार
हिम्मत और दिव्यांगता तेरी हिम्मत और हौसला ऊंची सोच है तेरी पहचान। दिव्यांगता भी हारेगी होगा जग में तेरा नाम। खुद अपने पर यकीन रख तु कठिन रास्ते पर बढ़ाना…
तू मानव है-डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा
तू मानव है जब-जब मानव को अभिमान हुआ सर्व-श्रेष्ठ होने का भान हुआ, कुदरत ने तोड़ा दंभ तेरा तुझे तुच्छ अहं का ज्ञान हुआ। तूने “वसुधा” की हरियाली को बनकर…
ईद-मेराज रज़ा
ईद ईद आई है, ईद आई है, कपड़े नए पहनकर निकले, बच्चे-बूढ़े सारे! उतरे हों आसमान से ज्यों, झिलमिल-झिलमिल तारे। प्यारे से होंठों पर सबके खुशियां छाई है। ईद आई…
वक़्त हीं तो है गुजर जाएगा-मधु कुमारी
वक़्त हीं तो है गुजर जाएगा वक़्त हीं तो है, गुज़र जाएगा जो आज है भयावह मंजर यकीन…
कर्मवीर-डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
कर्मवीर जीवन कब शोक मनाता है, कर्मवीर भी मारा जाता है। उठकर प्यारे अब धीर धरो, संघर्ष से क्यों घबराता है। जीता है और हम जीतेंगे, कहो कौन हमें डराता…
स्वच्छता-शुकदेव पाठक
स्वच्छता आदर्श जीवन वह होता मानव जिसमें व्यवस्थित रहता। जीवन सही आदतों का मेल वरना, हम जीवन में फेल। बच्चों, सफाई की आदत डालो इसमें अपने आप को तुम ढालो।…
विपरीतार्थक शब्द-सुधीर कुमार
विपरीतार्थक शब्द आओ बच्चों तुम्हें सिखाता, हूं मैं आज कुछ उल्टा शब्द। विपरीतार्थक को विलोम भी कहते उल्टे अर्थ देते ये शब्द। शहर का उल्टा गांव है, धूप का उल्टा…
मैं-धीरज कुमार
मैं कभी सोच कर समझा कभी कि कौन हूं मैं ? इस धरती पर जन्मा कहां से आया हूं मैं ? कई रिश्ते नाते बने मुझसे कितने निभा रहा हूं…