स्वच्छता-शुकदेव पाठक

स्वच्छता आदर्श जीवन वह होता मानव जिसमें व्यवस्थित रहता। जीवन सही आदतों का मेल वरना, हम जीवन में फेल। बच्चों, सफाई की आदत डालो इसमें अपने आप को तुम ढालो।…

विपरीतार्थक शब्द-सुधीर कुमार

विपरीतार्थक शब्द आओ बच्चों तुम्हें सिखाता, हूं मैं आज कुछ उल्टा शब्द। विपरीतार्थक को विलोम भी कहते  उल्टे अर्थ देते ये शब्द। शहर का उल्टा गांव है, धूप का उल्टा…

मैं-धीरज कुमार

मैं कभी सोच कर समझा कभी कि कौन हूं मैं ? इस धरती पर जन्मा कहां से आया हूं मैं ? कई रिश्ते नाते बने मुझसे कितने निभा रहा हूं…

किताब-रीना कुमारी

किताब बच्चों! मैं हूँ किताब जो सभी के जीवन को बदल दूँ, सबके जीवन को रंगीन सपनों से भर दूँ। केवल सबको मुझे पढ़ना है और गढ़ना है, तब मुझको…

जिंदगी का सार-संगीता कुमारी सिंह

जिंदगी का सार यूं ही कभी आसमाँ को निहारते, देखा मैंने, शाम के धुंधलके में, चाँद का निकलना, शुभ्र, धवल, चमकता चाँद, आभा बिखेरता किसी, देवता के समान, यूं ही…

तन माटी का एक खिलौना-रानी सिंह

तन माटी का एक खिलौना जन्म-मरण का फेरा यारों चलता बारंबार यहाँ तन माटी का एक खिलौना टूटा कितनी बार यहाँ। लिया जन्म जो मृत्युलोक में उसको तो जाना होगा…