बचपन जीवन का आरंभ है ये भविष्य की बुनियाद है ये बचपन है जिसका नाम नहीं है सबके लिए आसान। स्वपनिल आँखो में सुन्दर जीवन की आस लिए, नन्हे कदमों…
पौध लगाएँ-विजय सिंह नीलकण्ठ
पौध लगाएँ चलो सभी जन पौध लगाएँ वन महोत्सव आया है हरियाली फैलाने हेतु बस एक मौका आया है। बारिश कम हो रही जमी पर जिसका कारण कम पौधे हैं …
नौनिहाल भारत माँ के-अंजलि कुमारी
नौनिहाल भारत माँ के नौनिहाल भारत माँ के विद्यालय में पढ़ने आते हैं । बनकर पथप्रदर्शक हम शिक्षक उनका भविष्य गढ़ने आते हैं ।। हर वर्ग से हर समुदाय से,…
चेतावनी-संजीव प्रियदर्शी
चेतावनी अभी जाकर अहसास हुआ है अपनी औकात एक अदना-सा विषाणु अपनी गिरफ्त में ले लेने को उतारु है उस सभ्यता को जो विजय पाने का दंभ भारती रही है…
दीपक-नूतन कुमारी
दीपक मनन-चिंतन करों बच्चों, यह दीपक कैसे जलता है, फ़िज़ा को यह करें रौशन, तले अंधेरा रहता है। हरेक मौसम, हरेक बेला, तमस को दूर करता है, तिमिर को शोख़…
माँ कहाँ-अमृता सिंह
माँ कहाँ है राहें वही, वही पगडंडियाँ। जिनमे रहते थे तेरे पैरों के निशां उन निशानों में मैं तुझको ढूंढा करूँ मेरी माँ तू कहाँ है? कहाँ है? कहाँ? है…
शून्य में भी शब्द तुम हो माँ-मनु कुमारी
शून्य में भी शब्द तुम हो माँ तुम सा कोई नहीं इस जहाँ में, तुम हो ममता की मूरत। मेरे हृदय में बसी है, माँ तुम्हारी प्यारी सूरत। तुम हीं…
प्यारी माँ-मुकेश कुमार
प्यारी माँ बिन बोले ढेर सारा प्यार लुटाती माँ, दुनियाँ प्यारी है क्योंकि पास में है माँ, कोई पूछे न पूछे, यह जरूर पूछती माँ, मेरे बेटे ने खाना खाया…
मां सृष्टिकर्तृ-सुरेश कुमार गौरव
मां सृष्टिकर्तृ मां! यानी सृष्टिकर्त्तृ स्त्री का महान दातृ रुप इस नाम की सार्थकता सबला शक्तिरुपा में सदा परिलक्षित दिखती है। वात्सल्य भाव प्रेषित कर जीवन रुपी पात्रों में ममता,…
पहला पग-नितेश आनन्द
पहला पग आया तो था खाली हाथ हीं वो, लेकिन उम्मीदों से भरा पड़ा था वो। एक सिकन जरूर थी चेहरे पर उसके, क्या घर की ममता मिल पाएगी यहां…