पर्यावरण पृथ्वी वीरान पड़ी, विकट समस्या खड़ी। स्वयं एक एक पेड़, आप भी लगाइए।। पेड़ों की कटाई रोकें, बर्षा इसी से होखें। फल फूल हमें देवें, इसे तो बचाइए।। मिट्टी…
बस महफ़ूज रहना-अमृता सिंह
बस महफ़ूज रहना हम सारी चढ़ाइयाँ चढ़ लेंगे हम सारी लड़ाइयां लड़ लेंगे हम लिख लेंगे फिर से इतिहास मेरे बच्चों बस महफ़ूज रहना। कोई चुनौती कठिन नहीं हम राह…
कोरोना से बचाव-आँचल शरण
कोरोना से बचाव कुदरत पर जो हमनें ढाया कहर है, आज कोरोना उसी का असर है। हवाओं में फैला ऐसा जहर है, हर तरफ बस मौत की खबर है। सभी…
हाँ मैं मजदूर हूँ-डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा
हाँ मैं मजदूर हूँ जिम्मेदारी के “जुऐ” को कांधे पर लेकर ढ़ोता हूँ, सम्मान की रोटी की खातिर मैं मजदूर बन जाता हूँ। मेहनत के बल पर ही तो मैं…
शिक्षा है बहुत अनमोल-अनुपमा अधिकारी
शिक्षा है बहुत अनमोल शिक्षा है बहुत अनमोल इसका न है कोई मोल साधना से ये होता हासिल धन दौलत से न इसको तोल! शिक्षा ही हमें निखारती है शिक्षा…
गुर्जर भूमि गुजरात-अपराजिता कुमारी
गुर्जर भूमि गुजरात पश्चिमी भारत में स्थित भारत का एक राज्य गुजरात 12वीं सदी तक गुर्जरत्रा के नाम से गुर्जरों द्वारा रक्षित, गुर्जर भूमि थी गुजरात। 1 मई 1960 को…
जोश जज्बा और जुनून-विजय सिंह नीलकण्ठ
जोश जज्बा और जुनून जोश जज्बा और जुनून है जिसको तीनों प्रसून सफल सदा वही होता है कहता कुदरत का कानून। जोश सदा उत्साहित करके नित कर्म को प्रेरित करता…
चूहे की चतुराई-सुधीर कुमार
चूहे की चतुराई एक बार दो बिल्ली ने मिल, एक चूहे को पकड़ा। उनके चंगुल से छूट न सका, लाख किया वह रगड़ा। तब चूहा बोला कि सुन लो, बात…
खाना पचता पेट मेंं-डॉ. स्नेहलता द्विवेदी आर्या
खाना पचता पेट में खूब चबाओ मुँह हिलाओ, सन जाये अब लार में। पाचन शुरू कराए टाईलिन , गले के ऊपरी भाग में। नीचे गले से होकर सुनलो, खाना पहुँचा…
आँखें-एस. के. पूनम
आँखें आँखों से बहते आँसू, कहता है एक अफसाना, गमों का दौर हो या, खुशियों के चंद लम्हें, आँखों से शबनम की बूंदें जैसी, गिरती है रुखसारों पर। ये आँखें!…