रुमाल एक चीज़ बड़ी कमाल, नाम इसका है रुमाल। कपड़े का टुकड़ा चौकोर, जेब-पर्स में रखते लोग। उद्देश्य एक व्यक्तिगत सफाई, हाथ, चेहरे या नाक की पोंछाई। आता जब है…
मजदूर-जैनेन्द्र प्रसाद रवि
मजदूर सुख और सुविधा से जो कोसों रहते दूर हैं। ग़रीबी की चक्की में पिसते दुनिया में मजदूर हैं।। अपने नाजुक कंधों पर दुनिया की बोझ उठाते हैं, दिनभर की…
कोरोना से जंग जीत लेंगे हम-शफ़क़ फातमा
कोरोना से जंग जीत लेंगे हम हर तरफ है तबाही छाई ये कैसी देश में बीमारी आई हर चेहरे पर दिख रहा है ग़म ऐसे में जाएं तो जाएं कहाँ…
ज्योतिर्मय चिंतन-दिलीप कुमार गुप्त
ज्योतिर्मय चिंतन साँसों संग युद्धरत जीवन चहुं ओर कराहती दुनिया गमगीन शोर नियति संग संघर्षरत जिन्दगी हौसले के बल मिलती संजीवनी। छायी चतुर्दिक विपदा भारी परस्पर सहयोग की है तैयारी…
कोरोना कविता और कवि-गिरिधर कुमार
कोरोना कविता और कवि लिख रहा हूं कविता, झांकता है कोरोना ठीक सामने की खिड़की से… अट्टहास करता है वो परिहास के स्वर हैं उसके कवि! भोले कवि तुम्हारी कविता…
प्रभात-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
प्रभात हम प्रभात की दिव्य किरण बन जग को राह दिखाएँगे। वसुधा कलियाँ नई खिलाकर महक सदा बिखराएँगे।। तिमिर सदा ही दूर भगाकर जीवन सुमन खिलाएँगे। कदम-कदम पर खुशियाँ देकर…
जीवन का संघर्ष-भवानंद सिंह
जीवन का संघर्ष बदहवास सी हो गई है जिन्दगी गुमसुम सा रहना तन्हाई में सिसकियाँ लेना, लगता है ऐसे मानो परिस्थितियों के हाथों गुलाम सी हो गई है जिन्दगी। कर…
कहर कोरोना का-बीनू मिश्रा
कहर कोरोना का मानव जिसे आजमाता रहा अब तक, शायद सृष्टि ने आज मानव को आजमाया है, बेकल, बेबस, कैद अपने ही घरों में इंसान हैं, आज विज्ञान की गति-प्रगति,…
स्कूल ऑन मोबाईल-गौरव कुमार
स्कूल ऑन मोबाईल देखो कैसी घड़ी है आई! चारों तरफ है तबाही छाई!! प्रकृति ने अपनी ताकत दिखलाई! सबको उसकी औकात बतलाई!! कोरोना ने हम सबको एक बात सिखाई! साफ-सफाई…
एक कवि की सोच-अशोक प्रियदर्शी
एक कवि की सोच एक कवि की सोच अद्भुत, विश्वसनीय, अकल्पनीय है। कवि तो मस्तमौला है, इसे मानो या न मानो, अद्भूत अलबेला है। सभी कहते हैं, जहाँ न पहुँचे…