लिखी हूं प्रेम पाती प्रिय- एस के पूनम

विधाता छंद। विधान-1222*4(लिखी हूँ प्रेम पाती प्रिय)(1)गगन हो या धरा पर हो,तुम्हें सत्कार जन-जन में। तुम्हीं को देख जीती हूँ,प्रणय का रीत कण-कण में। बजे मेरे पदाभूषण,सुरीला गीत छन-छन में।…

माता की सवारी – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

मनहरण घनाक्षरी छंद आश्विन पावन मास,नवरात्र होता खास,इस बार माता जी की, हाथी की सवारी है। श्रद्धा रख नर नारी-सामग्री खरीद रहे,भक्ति भाव रख करें, पूजा की तैयारी है। थाल…

मां आ जाओ- रुचिका

हर उलझन कैसे सुलझेयह राह हमें दिखलाओ।आओ माँ मेरे जीवन सेकष्ट सारे तुम हर ले जाओ। तुम्हारे आने से आत्मबल मिलता है,दुःख तकलीफ़ में भी अवलम्बन दिखता हैआओ मेरे जीवन…

ऐ जिन्दगी तेरे लिए – डॉ पूनम कुमारी

ए ज़िन्दगी तेरे लिए क्या क्या करना रह गया बाक़ी,बस इतना बता दे ज़िन्दगी बहुत भटक लिया गुमनामी मेंए जिंदगी तेरे लिए जाना है कहाँ सपनों की ख़ातिर,बस वो राह…

शीतलता के बीच एक दोपहरी भटकी- रामपाल प्रसाद सिंह अनजान

शीतलता के बीच एक दोपहरी भटकी।रोला कैसा है लावण्य, रूपसी नाजुक नारी।कोमल पीपल पात,सरीखे डिगती डारी।।जो जाते उस राह,भनक लेते जो तेरा।झलकी लेकर पास,अटककर लेते फेरा।। बिन जाने तव चाह,चाह…

है मान बाकी राम किशोर पाठक

है मान बाकी – शिखंडिनी छंद किसे हम कहें, बातें पुरानी। रहा कुछ नहीं, बाकी कहानी।। जिन्हें सुबह से, ढूँढा जमाना। बना अब रहे, ढेरों बहाना।। नहीं समझते जो मौन…

सरहद पे खड़े हैं जज्बा लेकर- बिंदु अग्रवाल

सरहद पे खड़े हैं लेकर जज्बा बलिदान का सरहद पे खड़े हैं लेकर जज्बा बलिदान का।देश की आन पे करते हैं खुद को यूँ कुर्बान देखिए।। न आँधी की परवाह…

पितृपक्ष के भाव- अमरनाथ त्रिवेदी

पितृ पक्ष के भाव जिनमें  है पिता की भक्ति ,वही तो पितृ तर्पण करते ।अपने उर में श्रद्धा लेकर ,वही  तो पित्र पूजन  करते । सब पूर्वजों का दिया हुआ…

जाति वर्ण – गिरींद्र मोहन झा

भिन्न-भिन्न जाति, सम्प्रदाय,भिन्न-भिन्न वर्ण और समुदाय,भाषा, राज्य, प्रांत और वतन,भिन्नता सबमें, पर है एक धरम,भिन्न-भिन्न भले सबकुछ, सब असमान,पर एक ही मातृभूमि सबका जन्म-स्थान,वाटिका में भिन्न-भिन्न सा फल-फूल लगे हों,तो…