समय है गतिमान – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

नश्वर दुनिया में है धर्म केवल शाश्वत, लोभ-मोह छोड़कर, नित्य करें प्रेमदान। जगत पिता से यहां कुछ भी है छिपा नहीं, आते जाते रात दिन, देख रहा दिनमान। पेट भरने…