कीमत चुकानी होगी मनहरण घनाक्षरी छंद में बिजली के कटने से, बढ़ जाती परेशानी, ए सी में जो रहने की, हो जाती आदत है। घटाएंँ बरसने से, मौसम बदल जाता,…
बाल सपने – सार्द्ध मनोरम छंद- राम किशोर पाठक
बाल सपने – सार्द्ध मनोरम छंद पाँव में पाजेब मनहर बाँध अपने। नाचते हैं श्याम बनकर बाल सपने।। देखकर नंगे कदम के दाँव प्यारे। झूमता है मन मयूरा भी हमारे।।…
कर्म – गिरींद्र मोहन झा
कर्म जो किया जाता है, वही होता है ‘कर्म’, जो करने योग्य हो, वही है कर्त्तव्य-कर्म, कहते हैं, कर्म के होते हैं तीन प्रकार, प्रारब्ध, संचित और क्रियमाण कर्म, जो…
जीवनदान- विजय शंकर ठाकुर
// जीवनदान // पेड़ खड़े थे, पत्ते हरे थे, फल लगे थे, झूले डले थे, बाहर धूप थी, वहां छाया थी, वे सब यहां आए, आपस में बुदबुदाए, उठाई आरी,…
एक पेड़ मांँ के नाम – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
एक पेड़ मांँ के नाम मनहरण घनाक्षरी छंद में बहुत खुशी की बात, आ गई है बरसात, पेड़-पौधे लगाकर, धरा को सजाइए। जहांँ हो जगह खाली, खेत-भूमि नमी वाली, एक…
यह धरती है प्रभु की प्यारी – अमरनाथ त्रिवेदी
यह धरती है प्रभु की प्यारी हम बच्चे अपने धुन में गाएँ, प्रभु चरणों में शीश नवाएँ । जिनका है धरती और अम्बर , उनके प्रति हम भक्ति बढ़ाएँ ।…
कल का सपना – राम किशोर पाठक
कल का सपना सपनों और अपनों के बीच, जीवन जीते हम-सब रहते। साँसों की डोरी को अपने, पल-पल सदा सँजोते रहते।। आज सदा है अपना होता, कोई कल का नहीं…
Asha aur bharosa
आशा और भरोसा सुरेश कुमार गौरव अंधियारे में दीप जले, यही है आशा की बात, तूफानों में नाव चले, यही है भरोसे की सौगात। जब मन थककर रुक…
आओ, हम सब खेलें भाई- विजय शंकर ठाकुर
– आओ हम सब खेलें भाई – आओ, हम सब खेलें भाई, अब तो खेल की घंटी आई। भाई आओ, बहाना आओ, खेल सामग्रियों को भी लाओ, उछल कूद है,…
मित्र की मित्रता – राम बाबू राम
मित्र की मित्रता मित्र की मित्रता है सबसे प्यारी, मित्र है तो जग न्यारी। मित्र है तो खुशियां सारी, मित्र है तो सुंदरता हमारी। मित्र है सुख-दुख का साथी, मित्र…