बेटी- प्रदीप छंद गीत
घर आँगन की शोभा बेटी, ईश्वर का वरदान है।
जिस घर में रहती है बेटी, बढ़ता उसका मान है।।
नहीं सही हम कमतर आंके, सहनशीलता मर्म को।
त्याग तपस्या की मूरत का, कर्मठता के धर्म को।।
बेटा कुल का दीपक होता, बेटी कुल की जान है।
जिस घर में रहती है बेटी, बढ़ता उसका मान है।।
ममता लेकर पैदा होती, सपने रखती चाक पर।
आत्मा रखती हरपल पावन, शौक सभी रख ताक पर।।
दो कुल की मर्यादा बेटी, लाती सदा विहान है।
जिस घर में रहती है बेटी, बढ़ता उसका मान है।।
पत्नी भगिनी बहु बेटी माँ, इसके रूप अनूप हैं।
लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती भी, बेटी का ही रूप हैं।।
प्रकृति पुरुष की पोषक बेटी, जिसपर हमें गुमान है।
जिस घर में रहती है बेटी, बढ़ता उसका मान है।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
