भाग्यशाली जेमिनी -रामपाल प्रसाद सिंह

कुंडलिया
भाग्यशाली जेमिनी।

मंदिर के चौखट खड़े,पूजा में हो बाध।
ॲंखियों से ऑंसू गिरे,पूरी हुई न साध।।

पूरी हुई न साध, हार नारी ना मानी।
अवसर मिलते खास,ऑंख से झड़ते पानी।।

कहते हैं ‘अनजान॔,चित्त जो रखते स्थिर।
मिले विधाता साथ,बिना जाए ही मंदिर।।

रामपाल प्रसाद सिंह अनजान
मध्य विद्यालय दरवेभदौर प्रखंड पंडारक पटना

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