🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏
रूपघनाक्षरी छंद।
(ईश्वर से जुड़े तार)
उत्कीर्णन पीत वर्ण,
रश्मियों का शृंगार है,
दिशा प्राची रवि खड़े,करते हैं इंतजार।
वहाँ धुआँ उठ रहा,
जल रहा अलाव है,
नौका खड़ी गंगा तट,प्राण फंसी मझधार।
पुकारते मंदिरों में,
शिव-शिव हरि-हरि,
काशी में बस कर,सह लेते हर वार।
भस्म आरती श्रृंगार,
गंगा की आरती कर,
तल्लीन हैं भक्त जन,ईश्वर से जुड़े तार।
एस.के.पूनम।
सेवानिवृत्त शिक्षक,फुलवारी शरीफ, पटना
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