बरखा के आस करके थकलय नयनमा,किसनमा। कि खेतिए पर निर्भर हय सबके परनमा किसनमा।। जेठ, बैसाख बितल, बितलय असढ़वा, बिना धान होले केटरो कैसे मिलतs मडवा। रोज दिन निरखे आँख…
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सारा जग परिवार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
गर्म-गर्म हवा चली, झुलस रही है डाली, फल-फूल-पत्ते बिना, वृक्ष ये बेकार हैं। माझी बिना मझधार- नैया डोले डगमग, दरिया की बीच धारा, टूटा पतवार है। अपना भी मुँह मोड़े,…
दहेज रूपी दानव – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
देश से विदेश तक, धरती अम्बर तक, सभी जगह बेटियां , छोड़ रही आज छाप। बेटियों को बेटा मान,लालन पालन करें, अपने संतान पर,गर्व भी करेंगे आप। दुनिया के लिए…
मुंह का निवाला – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मुंह का निवाला गरीबों को दुनिया में, सिर पर छत नहीं, हमेशा अभाव में ही कटता जीवन है। थक जाती आँखें खोज, मुँह का निवाला रोज, शायद हीं भरपेट मिलता…
मौसम का असर – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
रात दिन में भी ज्यादा- पड़ता है फर्क नहीं, ज़ालिम मौसम देखो, ढा रहा कहर है। जैसे -जैसे दिन ढले, चिलचिलाती लू चले, अब तो ये सुबह भी लगे दोपहर…
राधा की सहेलियां – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद राधा को चिढाती आज, खुशी की बताओ राज, रोज करें आपस में खूब अठखेलियाँ। कुछ नहीं बोलती हो, छुप-छुप मिलती हो, किससे मनाती तुम, रोज़ रंगरेलियाँ। नखरें…
उपदेश देते हैं – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
विषय:-उपदेश देते हैं विद्या :-मनहरण घनाक्षरी छंद फैशन में पड़कर, सुध-बुध खोते युवा, चेहरा नकली और काले केश होते हैं। समय के अनुरूप, होता नहीं पहनावा, तन में वसन भेष,…
बेटी की सफलता – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
माता की दुलारी बेटी, दुनिया में न्यारी बेटी, आसमान छूने का ये, तरीका नायाब है। खतरों से खेल कर, दबावों को झेलकर, होता है सफल वो जो, झेलता दबाव है।…
लहराईं परचम – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
लहराईं परचम, दिखलाई दमखम, आज हमारे देश को, बेटियों पे नाज है। रही नहीं छुई-मुई, देखो कामयाब हुई, एक बार फिर सजा, सिर पर ताज है। थके बिना माने हार,…
मौसम बहार के – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
दूर रख शिकवे गिले, आपस में मिलें गले, झूमती हैं आनंद में, गांव की ये गलियाँ। चल रही पुरवाई, खिल गई अमराई, स्नेह भरे बागानों में खिलती हैं कलियाँ। बसंत…