लगन और मेहनत के बल पर बंजर में फ़सल उगाएंगे। विजयी विश्व तिरंगा को हम आसमां में लहराएंगे।। 1971 के रण को हमने चंद दिनों में जीत लिया, कराची और…
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धान की बुआई – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मिलके लुगाई संग धान की बुवाई करें, फसल उगाने हेतु किसान लगाता जोर। हल उठा काँधे पर खेतों की जुताई हेतु, चल देता बैलों संग देखो जब होता भोर। रात…
बेबस इंसान – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
रूप घनाक्षरी छंद पानी हेतु किसानों की नजरें तरस रहीं, धूल उड़े सावन में देख रहे आसमान। नमी बिना खेतों में ही बिचड़े झुलस गए, सीने बीच किसानों के दब…
बरखा बहार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
बरखा बहार आई मन में उमंग छाई, मोती जैसे आसमान झमाझम बरसे। नई – नई दूब उगी, फसल की आस जगी, मजदूर किसानों के देख मन हरसे। छोटे बच्चे आंगन…
प्रकृति के आगे लाचार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
छंद -रूप घनाक्षरी अचानक मौसम ने बदला है करवट, आज सारे जीव जंतु गर्मी से गए हैं हार। पसीने से नर-नारी हाल से बेहाल हुए, कर-कर थक गए बरखा के…
फलों का राजा आम – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
आम का मौसम आया, स्वादिष्ट सौगात लाया, सुन्दर रसीले और भाव-सुर लहरी। कोई खाए आम्रपाली, केशर किशुन भोग, जर्दालु केसर चौसा, मालदा दशहरी। लंगड़ा फजली रत्ना बंबइया अलफांसो, छककर खूब…
वर्षा रानी – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
वर्षा आई झमाझम, मोती गिरे छमाछम, किसानों के चेहरे पे खुशी की निशानी है। बिजली कड़क रही, घटाएं गरज रहीं, मोरनी भी आज हुई मोर की दीवानी है। अखियां चमक…
शिक्षा का उद्देश्य – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
पढ़ने से ज्ञान मिले दुनिया में मान मिले, जीवन से अज्ञान का मिटता है अंधकार। किए पर खेद करें किसी से न भेद करें, लोगों से करते सभी, सुसंस्कृत व्यवहार।…
पानी से जिंदगानी – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
बरखा के आस करके थकलय नयनमा,किसनमा। कि खेतिए पर निर्भर हय सबके परनमा किसनमा।। जेठ, बैसाख बितल, बितलय असढ़वा, बिना धान होले केटरो कैसे मिलतs मडवा। रोज दिन निरखे आँख…
सारा जग परिवार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
गर्म-गर्म हवा चली, झुलस रही है डाली, फल-फूल-पत्ते बिना, वृक्ष ये बेकार हैं। माझी बिना मझधार- नैया डोले डगमग, दरिया की बीच धारा, टूटा पतवार है। अपना भी मुँह मोड़े,…