जातियों के नाम पर, इंसानों को बाँटा जाता, अक्सर दो जातियों में, होता तकरार है। कई लोग बैठे हुए हैं दुकान खोलकर, हर जगह धर्म के, कई ठेकेदार हैं। जड़…
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शरणागत की रक्षा – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
प्रभाती पुष्प जलहरण घनाक्षरी छंद बक्सर में ऋषियों के यज्ञ को सफल किया, अनुज लखन संग, ताड़का को मार कर। सुग्रीव को प्यार किया, बालि का संघार किया, मारीच-सुबाहु जैसे,…
दशरथ के नंदन – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
जलहरण घनाक्षरी छंद जगत कल्याण खातिर साक्षात् त्रिभुवन पति, कौशल्या के गोद आए, रामजी बालक बन। देवों के गुहार पर पृथ्वी की पुकार सुन, संत उपकार हेतु, दीनों के पालक…
मनहरण घनाक्षरी छंद में – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
प्रभाती पुष्प मनहरण घनाक्षरी छंद में पति व पत्नी के बीच नहीं करें कोई जिच, हमेशा बना कर रखें, आपस में मेल है। एक दूसरे के बीच होती जो समझदारी,…
गिरगिट भी शर्माए – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
सुबह में किस दल रात में जाएं बदल, नेताओं के रंग देख, गिरगिट भी शर्माए। चुनाव के समय में नए-नए वादे सुन, उनके इरादे देख, मेरा दिल घबराए। सत्ता में…
दिल्ली पर नज़र – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
चुनाव से हर बार तय होती जीत हार, किसी की आसान नहीं, सत्ता की डगर है। बयानों का ले के ओट मांगते हैं सभी वोट, भाषणों का नहीं होता, लोगों…
जलहरण घनाक्षरी छंद – जैनेन्द्र प्रसाद “रवि’
प्रभाती पुष्प जलहरण घनाक्षरी छंद हमेशा मगन रहें ईष्ट का भजन करें, वृथा नहीं नष्ट करें, समय को पल भर। कदम बढ़ाएं सदा फूंक-फूंक कर हम, जीवन में पड़ता है,…
प्रेम उपहार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
प्रेम उपहार बाल भावना को स्पर्श करती रचना (मनहरण घनाक्षरी छंद में) नाजुक- कोमल कली, बागानों में जैसे माली, करे खूब देखभाल,बच्चे होते फूल से। कभी नहीं करें रोस, यदि…
मौसम का कहर- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
गर्म ये हवाएं चली,वदन में आग लगी, अप्रैल के आरंभ में, खिल रही कड़ी धूप। अभी केवल झांकी है, मई आना तो बाकी है, धरती को लील रही,धर के प्रचंड…
बाली रे उमरिया – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
प्रभाती पुष्प मनहरण घनाक्षरी छंद बाली रे उमरिया 🌹🌹🙏🙏🌹🌹 एक दिन राधा रानी भरने को गई पानी, भूल बस चली गई, गोकुल नगरिया। देख के सुंदर गांव ठिठक गई थी…