मेरे दिलवाले सैयां पड़ती हूं तेरी पैंया, ला दो चांदी की पायल, पहनूंगी पांव में। दिला दो रेशम साड़ी, चार चक्का होंडा गाड़ी, खेलने को रंग बैठ, जाऊंगी मैं गांव…
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सांवला सांवरिया – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
होली दिन राधा रानी भरने को गई पानी, सहेली के संग ले के, सिर पे गगरिया। मोहन हो मतवाला अबीर गुलाल डाला, अंग-रंग भींगी मेरी, चोली व चुनरिया। धो के…
होली का संदेश – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
होली का संदेश प्रेम भाईचारा ले के होली का त्यौहार आता, गिले-शिकवे को भूल, खुशियां मनाइए। विरोधी के घर जाएं होली की बधाई देने, पड़ोसी और दोस्तों को, घर पे…
गोकुल की होली – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
प्रभाती पुष्प अबीर गुलाल संग रंगो की बौछार होती, कैसी होती लठ्ठमार, गोकुल की होली है। गोकुल की ग्वालों पर लाठियां है बरसातीं, होलीयारिन बन के, गोपियों की टोली है।…
होली का रंग – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
होली का रंग मनहरण घनाक्षरी छंद फाल्गुन महीना आया तन-मन हर्ष छाया, वृंदावन में होली का,दौर चहुंओर है। हिरनी सी चले चाल चुनरी पहन लाल, गोपियों के अंग लगा, रंग…
नारी तू नारायणी है – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
समाज की बलि नित्य बनती है औरत! क्या समाप्त हो गई इसकी जरूरत? श्रद्धा से प्रेरणा पा “मनु’ को आई जागृति, नारी समाज के दामन से जुड़ी भारत की संस्कृति।…
फाल्गुन के भाव – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
कृपाण घनाक्षरी छंद विद्या:-फाल्गुन के भाव जंगल में नाचे मोर कोयल मचाती शोर, हलचल चहुंओर, आ गया फाल्गुन मास। हाथों में गुलाल लाल कर के गुलाबी गाल, मोरनी की देख…
बगिया के फूल – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
विद्या:-रूप घनाक्षरी छंद बच्चें लगें फूल ऐसे गेंदा व गुलाब जैसे, खिले खिले चेहरे पे, दिखते जब मुस्कान। परियों की पंख लगा उड़ते आसमान में, दुनिया के गम से वो,…
कन्हैया की बाँसुरी – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
कन्हैया की बाँसुरी मनहरण घनाक्षरी छंद “”””””””””””””””””””””” नैन कजरारे काले सिर लट घुंघराले, सबकी लुभाता मन, सूरत ये सांवरी। मोहक छवि के आगे फीके पड़े कामदेव, मोहन का रूप देख,…
चलो हम दर्शन करें – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
आज आएंगे अवधपुरी राम, चलो हम दर्शन करें, अलौकिक सजी है अयोध्या धाम, चलो हम दर्शन करें।। ले हाथों में पान-सुपारी, पंक्तिबद्ध खड़े नर नारी, बिना देखे ना करेंगे विश्राम,…