प्रकाशोत्सव – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

चहुओर दीवाली में छतों और दीवारों पे, करती हैं जगमग, बल्बों की ये लड़ियांँ। कोई उपहार लाते मिठाई मलाई खाते, उमंग व उत्साह में, छोड़ते फुलझडियांँ। कहीं-कहीं रात भर महफिलें…

दिवाली का त्यौहार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

उत्साह उमंग संग दूधिया प्रकाश पर्व, साल भर बाद आता दीपावली का त्यौहार। आपस में सब मिल घरों की सफाई करें, अमीरों-गरीबों को भी रहता है इंतजार। घरों को सजाते…

बच्चों का हुडदंग – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

जब भी दीवाली आता, बच्चों को बहुत भाता, भाग दौड़ कर निज, घरों को सजाते हैं। साफ कर घर-वार रंगाई – पुताई करें, मुख्य दरवाजे पर रंगोली बनाते हैं। पटाखे…

इंसान की कीमत – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

आदमी से कहीं ज्यादा पशु होता वफादार, मानव को त्याग हम, पालते हैं स्वान को। माता-पिता से भी ज्यादा करते हैं देखभाल, है घट गई कीमत, जहां में इंसान को।…

सुबह की सैर – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

शीतल पवन चली, दूब बिछी मखमली, सुंदर नजारा देख,कदम ठहरता। फैली हुई हरियाली, झुकी हुई धान बाली, फसलों को देखकर चेहरा निखरता। पक्षियों का कलरव सुन दिल खिल जाता, सुबह…

जगत निर्माता – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

अगर कपूर धूप कंचन के थाल धर, आरती उतारें रोज गणेश की माता की। फल-फूल-अक्षत ले चरणों में सिर रख, नैवेद्य अर्पित करें भाग्य के विधाता की। देवता दानव नित्य…

अष्टमी का महाव्रत – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

भारत में नर-नारी समूल संकट हारी, श्रद्धा पूर्वक रखते, अष्टमी का उपवास। गृहस्थ हो याकि संत, भक्ति भाव में हो रत, सबसे उत्तम व्रत, रोग दोष करे नाश। मंगल कल्याणकारी…

जननी जगदम्बा – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद कहते हैं साधु संत जिनका न आदि अंत, असीम आनंद पाते, करते जो ध्यान हैं। श्रद्धा भक्ति भाव रख भजन पूजन करें, हमारी समस्याओं का मिलता निदान…