अष्टमी का महाव्रत – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

भारत में नर-नारी समूल संकट हारी, श्रद्धा पूर्वक रखते, अष्टमी का उपवास। गृहस्थ हो याकि संत, भक्ति भाव में हो रत, सबसे उत्तम व्रत, रोग दोष करे नाश। मंगल कल्याणकारी…

जननी जगदम्बा – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद कहते हैं साधु संत जिनका न आदि अंत, असीम आनंद पाते, करते जो ध्यान हैं। श्रद्धा भक्ति भाव रख भजन पूजन करें, हमारी समस्याओं का मिलता निदान…

मां का दरबार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

विद्या:- मनहरण घनाक्षरी छंद अक्षत चंदन संग पूजन की थाल लिए, आते रोज नर-नारी, मां के दरबार में। अखियाँ तरस रही, कब से बरस रही, दर्शन को लालायित, खड़े इंतजार…

माता की आराधना – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

प्रभाती पुष्प 🌹🙏🌹🙏🌹🙏 माता की आराधना आश्विन पावन मास, मंगल दिवस खास, भक्त जन करते हैं माता की आराधना। शरण में जो भी आते, मन चाहा वर पाते, मन में…

गुरु को नमन – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

कीर्तन भजन करें, गुरु को नमन करें, दिवस की शुरुआत करें ईस्ट ध्यान से। नित्य दिन सैर करें- सूर्योदय से पहले, तन मन शुद्ध करें, गंगा जल स्नान से। भूख…

किसान हुआ लाचार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

प्रभाती पुष्प किसान हुआ लाचार रूप घनाक्षरी छंद फसलों की उपज का मिलता नहीं है भाव, एक किनारे में खड़ी, डूब रही अब नाव। केवल खेती के बल चले नहीं…

जी का जंजाल – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

रूप घनाक्षरी छंद कार्य करने से पूर्व फल पे विचार करें, बिना सोचे करने से, जी का बनता जंजाल। स्थाई होता सुख नहीं भोग और विलास में, जगत की चकाचौंध,…

ऋतु का एहसान – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

खिल गई कड़ी धूप समय के अनुरूप, काली घटा छट गई, साफ हुआ आसमान। झूमती पेड़ों की डाली मही पर हरियाली, धरती आबाद हुई, प्रकृति का वरदान। पोखर तालाब भरे,…

बुजुर्गों का सम्मान करें – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

विद्या:-रूप घनाक्षरी छंद बुजुर्गों का ध्यान धरे, हमेशा सम्मान करें, परिवार की वे जड़, घर की वे बुनियाद। हमेशा आशीष देते, पिता जैसे हमें सेते, सिर पर साया रहे, करते…

हरितालिका तीज – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

सुहागिन महिलाएं अपने पति के लिए, दीर्घायु जीवन हेतु, रखतीं हैं उपवास। मन-कर्म वचन से करती हैं उपासना, माँगती दुआएँ वह, रख मन में विश्वास। सालों इंतजार बाद पावन महीना…