पापा खूब पढ़ाओ, आगे मुझे बढ़ाओ। शिक्षा का दीप जलाकर, पापा आप इतराओ।। पढ़ा-लिखा पैरों पर अपने, खड़ा मुझे कराओ। बेटी बोझ नहीं पापा की, दुनिया को समझाओ।। बेटी को…
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बेटी की अभिलाषा – दिव्या कुमारी
पापा मेरी एक अभिलाषा, पढ़ -लिखकर मैं बनु महान । आपका नाम रौशन करु जग में, मेरी भी को अलग पहचान || पापा मेरी…. अलग होगी जब मेरी पहचान, पापा…