उत्तरायणी पर्व का, हुआ सुखद आगाज। ढोल नगाड़े बज रहे, होंगे मंगल काज।। सूरज नित अभिराम है, जीवन का आधार। देव रूप पूजे सदा, सारा ही संसार।। बदल दिशा दिनकर…
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मुक्तक – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
हमारे देश की हिंदी, सुशोभित सौम्य-सी लगती। यही है भाल की बिंदी, बड़े ही गर्व से सजती।। मधुर रस भाव अनुरंजित, बनी हर कंठ की भाषा, बसे मन भावना ऐसी,…
दोहावली- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
पावन शुचिमय भाव रख, रचें नवल संसार। दे सबको नव वर्ष शुभ, खुशियों का उपहार।। द्वेष पुराना भूलकर, करिए नेक विचार। स्वागत हो नव वर्ष का, लेकर खुशी अपार।। खुशियाँ…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
शीत मास में हम सभी, रखें गात का ध्यान। स्वस्थ देह सद्कर्म ही, सुखद शांति संज्ञान।। दस्तक दी है शीत ने, ओढ़ रजाई प्रीति। हों सेवन रवि-रश्मि का, यही सुखद…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
पावन कार्तिक मास में, करें छठी का ध्यान। गुणवंती करुणामयी, महिमा बड़ी महान।। जग की आत्मा सूर्य को, करें नित्य प्रणिपात। जीवन प्राणाधार हैं, अंशुमान अवदात।। रवि उपासना पर्व है,…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
दीप जलें जब द्वार पर, मिलता नवल प्रकाश। खुशियाँ अंतस् तब मिलीं, हुआ तिमिर का नाश।। दीप अवलि में सज उठे, करते तम को नष्ट। दीन-हीन को देखकर, हरिए उनके…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
चंद्रयान है चाँद पर, हर्षित भारत देश। वैज्ञानिक सब धन्य हैं, देख सुखद परिवेश।। जय जय भारत देश में, जय जय है विज्ञान। चंद्रयान अभियान से, बढ़ा जगत् में मान।।…
बेटी – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
ममता बड़ी प्यारी है, समता बड़ी न्यारी है, बेटी ही तो बनती माँ, माँ की परछाईं है। मानवता की जान है, देश का अभिमान है, नील गगन से जाके, आँख…
कुंडलिया – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
बेटी से नित बढ़ रहा, आज देश का मान। बेटों से आगे सदा, रहते इनके काम।। रहते इनके काम, देश की शान बढ़ाती। यही सृष्टि का धाम, यही संसार रचाती।…
प्रेरणा गीत: सीखो – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
प्रतिदिन अपनी माँ से सीखो करुणा को बरसाना। प्रेम-भाव से सिक्त हृदय में सौम्य सुमन महकाना।। अनुशासन चींटी बतलाती गुण ऐसा नित भरना। सत्य मार्ग पर चलने में तुम कभी…