मैं हिंदी हूँ भारत माता की ललाट पर देदीप्यमान एक बिंदी हूँ, मैं हिंदी हूँ। भाषाओं की हूँ सिरमौर प्रसार मेरा है हर ओर हर देश मे फैली हूँ मैं…
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देश है एक-दीपा वर्मा
देश है एक, भाषाएँ अनेक। जिसमें हिंदी है एक, मातृ भाषा कहलाती है। देश प्रेम दर्शाती है, अभिव्यक्ति का मुख्य साधन है, भाषाओं की जननी है। मन की बात तुरंत…
हिंदी-ज्योति कुमारी
हिंदी मैं और मेरी हिंदी दर्द को कहाँ बिन हिंदी कह सकूँगी !! इसकी न हुई तो तूम्हारी क्या हो सकूँगी ! हिन्दी जैसे अधिकार है मेरा, मेरे हृदय में…
हर सुबह-विजय सिंह “नीलकण्ठ”
हर सुबह अरुण सी आभा लिए सूरज निकलता हर सुबह कलियाँ भी मुस्काती हुई खिल जाती है हर सुबह। चिड़ियाँ खुशी में झूम कर नाचा करती हर सुबह पशुजात…