उंगलियां अब व्हाट्सएप चला रही हैं-सैयद जाबिर हुसैन

Zabir hussain

Zabir hussain

उंगलियां अब व्हाट्सएप चला रही हैं

यह सजा है कि मजा है,
ये खुद को भी नही समझ पा रही हैं।
उंगलियां अब व्हाट्स_एप चला रही हैं।
कभी फेसबुक पर तो कभी ट्विटर पर,
यूं ही यू इतरा रही हैं,
उंगलियां अब व्हाट्स_एप चला रही हैं।

हाले दौर गुजरा इन्हे रोकना पड़ता था।
आज ये मन को लुभा रही है,
उंगलियां अब व्हाट्स_एप चला रही है।
रह रहकर बिताते थे जब वक्त इस पर।
बाद में पछताते थे कि ये वक्त को खा रही हैं।
कैसे करवट बदला ये दौर
कि ये खुद को लुभा रही है।
उंगलियां अप व्हाट्स_एप चला रही है ।
जिनकी खूबियों को न जानने की कोशिश की हमने।
आज वो उन खूबियों को बता रही है,
उंगलियां अब व्हाट्सएप चला रही हैं।

बहुत ही शौक था अपना अक्स देखने का।
आज वो चलचित्र दिखा रही है।
उंगलियां अब व्हाट्स_एप चला रही हैं।।

सैयद जाबिर हुसैन
शिक्षक
कैमूर (बिहार)

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