पावन दिवस पाँच,
सितंबर हर साल,
विद्यार्थी के जीवन को,हर्षित कर जाते।
जमावड़ा है शिष्यों का,
गुलदस्ता है फूलों का,
शिक्षार्थी के आँगन से,जाते हैं जुड़ नाते।
आचार्य के सानिध्य से,
जीवन का अंधकार,
मिट जाते धीरे-धीरे,और प्रकाश पाते।
गगन हो या भूतल,
जगा जाते हैं नींद से,
कर्मवाद पढ़ा कर,यादों को छोड़ आते।
एस.के.पूनम
प्रा.वि.बेलदारी टोला
फुलवारी शरीफ,पटना
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