यूँ ही लम्हें बीत जाएँगे ,
न हम रहेंगे न तुम रहोगे
फिर अपनी बात
कहाँ और किसको कहोगे ?
यह अंतहीन सिलसिला
चलता ही जाएगा ।
क्या यह कभी
कहीं रुक भी पाएगा ।
अपनी बात जो कहना हो
अभी कह डालो ।
समय के फेर मे ,
कहीं कभी गुरुर न पालो ।
आज जो हँस रहे मुस्करा रहे ,
अपनी शान पर ।
कल वही मिलेंगे ,
मौत के दुकान पर ।
गुरुर न करना कभी ,
अपनी बात के अरमान पर ।
तुम ठहर न सकते हो कभी ,
किसी की जान के कुर्बान कर ।
न व्यर्थ नफरत ही घोलो ,
किसी भी मक़ाम पर ।
बनाओ प्रेम की महफिल ,
सदा अपने ही ठाम पर ।
अमरनाथ. त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा जिला मुजफ्फरपुर
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