आओ हम सब मिलकर एक नया प्रयास करें।
पृथ्वी भी होती है दुखित, इसका आभास करें।।
हम सब तो अपने स्वार्थ में भूल ही बैठे हैं,
वनों को ही काटकर बंगले बनाए बैठे हैं।।
जब पृथ्वी नहीं रहेगी स्वच्छ एवं सुरक्षित,
तो हम सब कैसे रहेंगे स्वस्थ और सुरक्षित?
अब यह सोचकर हम क्यों हो रहे हैं कुंठित?
ये तो होना ही था, जब पृथ्वी हो रही है प्रदूषित।।
जब इस पृथ्वी को स्वच्छ बनाना होगा,
तब तो हर संभव वृक्ष लगाना ही होगा।।
जब पृथ्वी को प्रदूषित होने से बचाना है,
कर लो प्रण—घर में पॉलीथीन नहीं लाना है।।
एम० एस० हुसैन “कैमूरी”
शिक्षक सह युवा कवि, उत्क्रमित मध्य विद्यालय, छोटका कटरा, मोहनियां, कैमूर
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