शिक्षा में मातृभाषा की उपयोगिता
सही शिक्षा सफल तभी होती ,
जिसमें मातृभाषा का उपयोग निश्चित हो ।
मातृभाषा ही समझ दृढ़तर करती ,
जिसमें विषय संदर्भित प्रयोग सुनिश्चित हो ।
सीखने सिखाने की प्रक्रिया में ,
मातृभाषा का अधिक महत्त्व है ।
जीवन के अनछुए प्रसंग में भी ,
इस भाषा का अधिक समत्व है ।
निशा घेरती जब उजाले मन में ,
तब समझाने का कार्य इसी भाषा का ।
संस्कारों में यह इस कदर छाई है ,
संवर्धित करती मूल्य परिभाषा का ।
शिक्षा में भाषा अपनाना वही होता ,
जिस भाषा को हम जानें ।
प्रत्येक शब्द के अर्थ की समझ हो ,
तभी उस परिभाषा को हम मानें ।
मातृभाषा में अध्ययन अध्यापन का,
है आज खूब शोर सुनाई देता ।
इसके अधिक सटीक फायदे हैं ,
कई कमियों को यह हर लेता ।
शिक्षा का उच्च स्तर बढ़ता तब ,
जब माध्यम मातृभाषा हो अध्यापन का ।
एक ही भाषा के जब गुरु शिष्य मिले हों ,
तब वह शिक्षा लगती अपनापन का ।
शिक्षा में उपयोग का सुअवसर यह ,
मातृभाषा को शिखर पर लाने की ।
केवल दिल ही नहीं दिमागों में भी ,
इस बात को सर्वदा अपनाने की ।
यह संस्कारों की थाती बनकर ,
यह भेद , विभेद बतलाता है ।
मातृभाषा के गुण के कारण ही ,
यह हमें गुह्यतम ज्ञान कराता है ।
भाव प्रवणता समुच्चय बोध में ,
यह दिग्दर्शन खूब कराती है ।
आत्मा के सौंदर्य प्रबोध में ,
यह नवल इतिहास रचाती है ।
शिक्षा में मातृभाषा के उपयोग को ,
अधिकाधिक जीवन में हम लायें।
नए नए विषयों में रमकर नित्य ,
इसका खूब मूल्य बढ़ा पायें ।
सृष्टि के कण कण को समझने में ,
मातृभाषा ही अधिक फलदायक है।
यह भाषा अति तृप्त करती मन को ,
यह भाषा सहज सरल सुखदायक है ।
शिक्षा से जोड़ती सीधे संस्कारों को ,
यह प्रेम भाव बरसाती है । मातृभाषा होती इतनी प्यारी,
यह मन को शब्दों से नहलाती है ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर