शिक्षा में मातृभाषा की उपयोगिता – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

शिक्षा में मातृभाषा की उपयोगिता

सही    शिक्षा  सफल तभी  होती  ,
जिसमें मातृभाषा का उपयोग निश्चित हो ।
मातृभाषा ही समझ दृढ़तर करती ,
जिसमें विषय संदर्भित  प्रयोग सुनिश्चित हो ।

सीखने सिखाने की प्रक्रिया में ,
मातृभाषा का अधिक महत्त्व है ।
जीवन के अनछुए प्रसंग में भी ,
इस भाषा का अधिक समत्व है ।

निशा  घेरती  जब  उजाले  मन में ,
तब समझाने का कार्य इसी भाषा का ।
संस्कारों में यह इस कदर छाई है ,
संवर्धित करती मूल्य परिभाषा का ।

शिक्षा में भाषा अपनाना  वही होता ,
जिस भाषा को हम जानें ।
प्रत्येक शब्द के अर्थ की समझ हो ,
तभी उस परिभाषा  को हम मानें । 

मातृभाषा में अध्ययन अध्यापन का,
है आज खूब  शोर सुनाई देता ।
इसके   अधिक सटीक  फायदे हैं ,
कई कमियों को यह हर लेता ।

शिक्षा का  उच्च स्तर   बढ़ता तब  ,
जब माध्यम मातृभाषा  हो  अध्यापन का ।
एक ही भाषा के जब गुरु शिष्य मिले हों ,
तब वह शिक्षा लगती  अपनापन का ।

शिक्षा में  उपयोग का सुअवसर यह ,
मातृभाषा को शिखर पर लाने  की ।
केवल दिल ही नहीं दिमागों में भी ,
इस बात को   सर्वदा अपनाने की ।

यह संस्कारों की थाती बनकर ,
यह भेद , विभेद बतलाता है ।
मातृभाषा के गुण के कारण ही ,
यह हमें गुह्यतम ज्ञान कराता है ।

भाव प्रवणता समुच्चय बोध में ,
यह दिग्दर्शन  खूब कराती है ।
आत्मा के सौंदर्य  प्रबोध  में ,
यह  नवल इतिहास रचाती है ।

शिक्षा में मातृभाषा के उपयोग को ,
अधिकाधिक जीवन में हम  लायें।
नए नए विषयों में  रमकर नित्य ,
इसका खूब   मूल्य बढ़ा पायें ।

सृष्टि के कण कण  को  समझने  में ,
मातृभाषा ही अधिक  फलदायक  है।
यह भाषा अति तृप्त करती मन को ,
यह भाषा सहज सरल सुखदायक है ।

शिक्षा से जोड़ती सीधे संस्कारों को ,
यह प्रेम भाव बरसाती है । मातृभाषा होती इतनी प्यारी,
यह मन को शब्दों से नहलाती है ।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

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