समरसता हो सदा सभी में – मनु कुमारी

समरसता हो सदा सभी में, शास्त्र यही बतलाता है।
शांति और सद्भाव बनाकर,मानव बस यह पाता है।।

मीठी बोली कड़वेपन का,भाव सभी हर लेता है।
रोती अंखियों में ना जानें, खुशियाँ फिर भर देता है।।

सत्य वचन जो सदा बोलता, झूठ हृदय से जाता है।
नफ़रत भरी दिलों में फिर, नेह पुष्प खिल पाता है।

वही खून जब सबके भीतर, मन क्यों नफ़रत बोता है।
अपने हीं स्वारथ में आके, अपनों को फिर खोता है।।

जाति पाति का भेद नहीं हो, धर्म यही बतलाता है।
एकसूत्र में बँधकर रहना, समरसता कहलाता है।।

Manu Raman Chetna
स्वरचित एवं मौलिक
मनु कुमारी, विशिष्ट शिक्षिका,
मध्य विद्यालय सुरीगांव ,बायसी,
पूर्णियां बिहार

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