आम आदमी का अंदाज – हरिपद छंद – राम किशोर पाठक

आम आदमी का अंदाज – हरिपद छंद

आज आदमी आम हो गया, नहीं रहा कुछ खास।
बदल रहे अंदाज सभी के, रहा नहीं विश्वास।।
दोष रहा भर सबके मन में, व्यसन बनाया दास।
समझ रहा औरों को छोटा, है करता उपहास।।
धन संचय में लगा हुआ है, करता है परिहास।
अपनी सुख की चिंता करता, नहीं किसी को रास।।
दोष गिनाएं बड़े-बड़ों का, कहता उनको खास।
सुख से उनके हीं रहता है, हरपल पड़ा उदास।।
दंश झेलता हरपल रहता, सदा सताती प्यास।
सीख अभाव संग में जीना, भला लगे उपवास।।
जिसके घर पकवान छने है, होता है वो खास।
आम आदमी को होता है, रूखी सूखी रास।।
महलों में रहने का सपना, रहता किसके पास।
जो सिर ढकने को मिल जाए, वही आम आवास।।
आम आदमी की व्यथा कहे, पाठक हैं बिंदास।
कर्म सोंच से मिल जाए तो, जीवन रहे उजास।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978

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