गुरुजन
गुरुजन होते हैं सदा,
जीवन की पतवार ।
उनसे ही हम सीख कर,
रचते नव संसार ।
रचते नव संसार,
समय पर खरे उतरते ।
सीख बने वरदान,
पंथ निष्कंटक चलते ।
कह राघव समझाय,
वही ज़न बनते सज्जन ।
सुनें खोलकर कान,
बताते जो भी गुरुजन ।
राघव दुबे
प्राथमिक विद्यालय लीलापुर, कैमूर
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