जीवन अनमोल-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

मनहरण घनाक्षरी छंद


माता – पिता, गुरुजन,
का जो ना सहारा मिले,
उम्र सारी बीत जाए, जिंदगी बनाने में।

मानव जीवन भाई,
बड़ा अनमोल होता,
वक्त न बर्बाद करें, बैठ पछताने में।

गलती समझ कर ,
हाथ जोड़ माफी माँगें,
कभी भूल हो जाए जो, यदि अनजाने में।

ईमान ज्ञान त्याग से,
मान हमें मिले यहाँ,
तनिक ना देर होती, इज्जत गंवाने में।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

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