दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य

Devkant

करिए वंदन शंभु का, लेकर पूजन थाल।
उनकी महिमा है बड़ी, उनका हृदय विशाल।।

शिव के पावन नाम का, गाएँ नित गुणगान।
निश्छल मन में कीजिए, शुचिमय चिंतन-भान।।

शिव शिव पावन नाम है, शिवमय हो हर काम।
परहित जन कल्याण से, जीवन हो अभिराम।।

शिव देवों के देव हैं, महिमा अपरंपार।
भाव सदा शिवमय रखें, होगा तब उद्धार।।

लेकर नाम महेश का, मन में रख विश्वास।
कर्म करो कल्याण का, पूरी होगी आस।।

रख शिव भाव शिवत्व का, चलिए शिव के धाम।
शिव के आशीर्वाद से, सभी बनेंगे काम।।

शिव का वाहन है वृषभ, नाग गले का हार।
हस्त सुशोभित है त्रिशिख, महिमा अपरंपार।।

सिर पर शोभित चंद्र हैं, लगते शिव अभिराम।
जीवन शीतल सौम्य हो, जैसे इंदु ललाम।।

गंगा पावन नीर से, हो शिव का अभिषेक।
निर्मल मन के भाव की, कभी न टूटे टेक।।

भाव हृदय शिवमय रखें, करें हाथ उपकार।
कर्म शुभद सौभाग्य दें, पाएँ खुशी अपार।।

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार

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