दोहावली- रामकिशोर पाठक

ram किशोर

निर्णायक जन-जन जहॉं, सफल वहीं गणतंत्र।
समता जिसके मूल में, भागीदारी मंत्र।।

छब्बीस जनवरी शुभद, दिवस हुआ गणतंत्र।
संविधान लागू हुआ, जिससे चलता तंत्र।।

आज चतुर्दिक दिख रहा, लूट-पाट षड्यंत्र।
चला रहे कुछ लोग हीं, भारत का गणतंत्र।।

आओ भूल सुधारने, निखारने गणतंत्र।
कोई न महसूस करें, जैसे हों परतंत्र।।

मानवता को ध्यान रख,सदा चलाए तंत्र।
मानव मानव हीं रहे, बनें नहीं बस यंत्र।।

चला रहें हम गर्व से, विशालतम गणतंत्र।
अनेकता में एकता, यही हमारा मंत्र।।

जहॉं हर जाति-धर्म का, आदर करता तंत्र।
पुष्पित हो इससे सदा, अपना यह गणतंत्र।।

है अनुपम संसार में, भारत का गणतंत्र।
आदर्शों का विधि यहॉं, है सामाजिक तंत्र।।

नियम कानून हैं बहुत, जैसे हो संयंत्र।
भाव संग बंधुत्व पर, मुखरित यह गणतंत्र।।

संविधान सर्वोच्च है,जन-जन का यह तंत्र।
तिरंगा आसमान में, सजा रहा गणतंत्र।।

राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज, पटना

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