प्रेम-दीप – रंजीत कुशवाहा

Ranjeet Kushwaha

चलो प्रेम के दीप जलाएं।
भेदभाव को दूर भगाएं।
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मानव में क्यों द्वेष आज है।
खंडित होता क्यों समाज है।
आओ गीत मिलन के गाएं।
चलो प्रेम के दीप जलाएं।
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ऊँच नीच का भेद छोड़ दें।
जाती को इक नया मोड़ दें।
पाठ एकता पढ़ें पढ़ाएं।
चलो प्रेम के दीप जलाएं।
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खुश औरों को रखना सीखें।
स्वाद प्यार का चखना सीखें।
स्वर्ग धरा को आज बनाएं।
चलो प्रेम के दीप जलाएं।
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चार दिवस जीवन का गाना।
खाली हाथ सभी को जाना।
आओ प्यार सभी का पाएं।
चलो प्रेम के दीप जलाएं।

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