बस इतनी सी चाह- नीतू रानी

बस इतनी सी चाह,
हम हो जाते लापरवाह।

बस इतनी सी चाह,
जब रास्ते चलने लगते हैं तो भटक जाते अपनी राह ।

बस इतनी सी चाह,
जब पानी में हम घुसते अचानक पैर फिसला तब बाद में पता चलता कि यहाँ तो पानी हैअथाह।

बस इतनी सी चाह,
लेकिन ये चाह कभी पूरी नही होती
और हो और हो और हो की रहती परवाह ।

बस इतनी सी चाह,
घर बैठे-बैठे हम सपने देखने लगते हैं हजार।

बस इतनी सी चाह,
कभी‌ -कभी इतनी सी चाह के चलते
जीवन हो जाता बर्बाद।

बस इतनी सी चाह,
अगर इसनी सी चाह में हम संतुष्ट हो जाए
तो सर पर होगा ईश्वर और माता-पिता का हाथ।
बस इतनी सी चाह।


नीतू रानी
स्कूल का नाम-म०वि०सुरीगाॅ॑व प्रखंड-बायसी
जिला-पूर्णियाॅ॑ बिहार

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