अखिल भारतवर्ष में,
बिहार की अलग पहचान है।
यह महावीर संग बुद्ध की माटी है,
यह बिहार की शान है।
उत्तर में नेपाल है स्थित,
दक्षिण में झारखंड है।
पूरब में बंगाल है स्थित,
पश्चिम में उत्तर प्रदेश है।
रणबाँकुरे कुँवर सिंह जी,
आरा में बड़े मशहूर थे।
उनकी गाथा योद्धा की थी,
अंग्रेज भागने को मजबूर थे।
गंगा, कोसी, गंडक नदियाँ,
ये लहराती हमारी शान हैं।
राजेंद्र बाबू, जयप्रकाश भी
हम सब के अभिमान हैं।
माटी जो सोना उगले,
ऐसी प्यारी माटी बिहार की।
जिस धरा पर हरियाली छाई,
ऐसी अंगड़ाई धरा बिहार की।
भाँति भाँति की भाषा धरा पर,
बोली भी बड़ा अमोल है।
सब होते हैं इसके वश में,
शब्द भी इसके अनमोल हैं।
कवियों की धरती है यह,
संगीत का बड़ा आगार है।
गीतों का रसधार है बहती ,
यह बड़ा सृजनहार है।
मधुबनी की हो पेंटिंग कला
या भागलपुर का रेशमी उद्योग हो।
मुजफ्फरपुर की लीची सुस्वादु
या सिलाव का खाजा मशहूर हो।
हो ककोलत का झरना सुरम्य,
या गोलघर बिहार की पहचान हो।
राजगीर का प्रसिद्ध सीस पुल हो,
या नालंदा, विक्रमशिला हमारी शान हो।
अब न खंडित हो इसका,
यह हम सबका अरमान है।
सब हों इसके भरे पूरे,
यही इस माटी का फरमान है।
आएँ हम सब शीश नवायें,
इस माटी का कर्ज चुकायें।
जन्मभूमि यह धरा हमारी,
आएँ सब मिल इसे बढ़ायें।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड-बंदरा, जिला-मुजफ्फरपुर