मनहरण घनाक्षरी- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

निपुण का भाव भर,

पहुँच प्रदान कर,

बुनियादी ज्ञान से ही,

बच्चों को जगाइए।

संख्या की समझ लाएँ,

प्रतिपुष्टि गुण पाएँ,

लेखन की सौम्यता भी,

सतत बढ़ाइए।

संक्रिया गणित नित्य,

लगे दिव्य-सा आदित्य,

दैनिक प्रयोग कर,

सक्षम बनाइए।

शिक्षण प्रशिक्षण हों

उपयोगी बालमन,

आनंददायी भाव से,

उन्हें हरषाइए।

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

शिक्षक, मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार

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