मुझे भी तू चुन ले – स्नेहलता द्विवेदी ’आर्या’

Snehlata

जगत मां तू सुन ले मुझे भी तो चुन ले,
शरण तेरे आई खड़ी हूं यूं कब से।
तू सबसे हो न्यारी, तू लगती है प्यारी
शरण तेरे आई, नमस्ते नमस्ते।।

जगत मां तू सुन ले मुझे भी तो चुन ले,
शरण तेरे आई खड़ी हूं यूं कब से।

हे करुणा की मूर्ति, तू कर इच्छा पूर्ति,
शरण तेरे आई, क्यों बैठी तू कब से।
है केहरि वाहन, है शोक नसावन,
दुष्ट दलन कर रही, मां तू कब से।।

जगत मां तू सुन ले मुझे भी तो चुन ले,
शरण तेरे आई खड़ी हूं यूं कब से।

न शक्ति न भक्ति न मति है न युक्ति,
मैं मूढ़ मति बस पड़ी हूं चौखट पे।
न क्रिया, न जपतप नही कोई पूजा,
ध्यान तपस्या करूं कैसे झट से।

जगत् मां तू सुन ले मुझे भी तो चुन ले,
शरण तेरे आई खड़ी हूं यूं कब से।

ये माया भी तेरी, ये माटी भी तेरी,
ये पुष्पित कमल भी चरण में हैं कब से।
कहां से मैं निर्मल कमल नयन लाऊं
हूं कर जोड़े माई खड़ी बस लगन से।

जगत मां तू सुन ले मुझे भी तो चुन ले,
शरण तेरे आई खड़ी हूं मैं कब से।

स्नेहलता द्विवेदी ’आर्या’
मध्य विद्यालय शरीफगंज, कटिहार

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