प्रभु रामचंद्र कहें,
संतन के संग रहें,
उदार भावना गहें,पूजनीय सतनाम।
नित्य प्रति पाठ करे,
दुजा कोई काम परे,
भक्तों का विपदा हरे,लेते रहें हरि नाम।
जात-पात भेदभाव,
हृदय में देता घाव,
बैठे हैं केवट नाव,पहुँचे हैं प्रभु धाम।
पुरुषार्थ साध कर,
कृतार्थ धरती पर,
पद चिन्ह छोड़ कर,किये मानवीय काम।
एस.के.पूनम
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