गर्भ से प्रथम रिश्ता,
स्वीकार है माता-पिता,
पदार्पण धरा पर,
और खुशियाँ बटोर।
आँचल में छुप कर,
दुग्ध सुधा रसपान,
लोभ से होकर मुक्त,
शिशु फिर भी चटोर।
नटखट नंदलाला,
खेल खेले बाल सखा,
छुप गए घड़ा फोड़,
कन्हैया माखन चोर।
अमिया के छाँह तले,
राधिका का इंतजार,
मुरली के तान पर,
डोले तन पोर-पोर।
एस.के.पूनम
प्रा. वि. बेलदारी टोला,
फुलबारी शरीफ, पटना
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