प्रभाती पुष्प
जलहरण घनाक्षरी छंद
बक्सर में ऋषियों के
यज्ञ को सफल किया,
अनुज लखन संग, ताड़का को मार कर।
सुग्रीव को प्यार किया,
बालि का संघार किया,
मारीच-सुबाहु जैसे, पापियों को तार कर।
गौ,द्विज, बालक पर
रखते हैं कृपा दृष्टि,
भक्तों का कल्याण किया, धरती का भार हर।
चांडालों ने अबला की
सम्मान पर वार किया,
द्रोपदी-अहिल्या आई, शरण में हार कर।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
0 Likes