पूनम की रात
शीतल चाँदनी फैलाए
अंतिम रात्रि आश्विन
शरद पूर्णिमा कहलाए
घर में माताएँ
क्षीर खीर बनाए।
पूनम की रात
शीतल चाँदनी फैलाए।
सुधाकर चंद्र निशाकर
बारंबार गुहार लगाए
देखो चंद्र किरणें
अमृत है बरसाए
पूनम की रात
शीतल चाँदनी फैलाए।
रिवाज बड़े अनोखे
सदियों से निभाए
चकोर जैसी अम्मा
चाँद देखती जाए
पूनम की रात
शीतल चाँदनी फैलाए।
लक्ष्मी अवतरित हुई
सिंधु त्याग आए
दवा संचय करे
गुणकारी योग बनाए
पूनम की रात
शीतल चाँदनी फैलाए।
शरद करती आलिंगन
चहुँओर उमस मिटाए
रजनीगंधा व पारिजात
जैसे रहे मुस्काए
पूनम की रात
शीतल चाँदनी फैलाए।
दूधिया रौशनी फैलाती
प्रेमियों को ललचाए
प्रेम उल्लास भरती
पाठक को भरमाए
पूनम की रात
शीतल चाँदनी फैलाए।
राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश
पालीगंज, पटना