हर घर तिरंगा-विवेक कुमार

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अटूट प्रेम की पक्की डोर,
टूटे कभी न इसका जोड़,
इस रिश्ते का न कोई तोड़,
माथे तिलक, रोरी और चंदन,
बहन ने किया भाई का वंदन,
रक्षासूत्र बांध बहना ने,
लिया भाई से एक वचन,
रक्षक नहीं रक्षा का गुर,
गुरु बन ऐसी शिक्षा दो,
डर का मन में न हो डेरा,
मजबूत और फौलाद बनूं,
खुद की रक्षा सहज कर सकूं,
हमारी मनोदशा ऐसी बने,
न कभी डिगू न कभी झुकूं,
हर बहना का हो यह कहना,
भाई तुम हो मेरा गहना,
भाई बहन का प्यार अनूठा,
इस रिश्ते से न कोई रूठा,
दिल के रिश्तों का यह जोड़,
रेशम की डोर, न होगी कमजोर,
बहन का प्यार, भाई का विश्वास,
इस पर्व को बनाता खास,
सावन पूर्णिमा के दिन है आता,
स्नेह और विश्वास है लाता,
रक्षाबंधन है कहलाता,
रेशम की डोर है बेजोड़।।

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Vivek Kumar

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