हिंदी माथे की बिंदी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

मनहरण घनाक्षरी छंद भाग-१सुगम हमारी हिन्दी,देश के माथे की बिंदी,हिंदी से ही भारत की, होती पहचान है। संस्कृत की बेटी यह-कहलाती मातृभाषा,हिंदी में तो पढ़ना व, लिखना आसान है। करोड़ों…

शिक्षक -अजय कुमार

शिक्षक माताऐं देती नव जीवन, पृथ्वी देती अन्न – जल, पिता सुरक्षा करते हैं, लेकिन सच्ची मानवता, शिक्षक जीवन में भरते हैं, सही – गलत का बोध कराना, शिक्षक हमें…

शिक्षा

शिक्षा जीक्न मूल है, मानव धर्म सामान. शिक्षा बिन सब सुन है, वाहन सुघर सुनाम.. पाहन मे ज्यो प्राण है, मुरत में भगवान. शिक्षा जिन मन में बसे, समझो सूजन…

शिक्षक हमारे ज्ञान पुंज-अमरनाथ त्रिवेदी

शिक्षक हमारे ज्ञान पुंज कौन कहता शिक्षकों के बिना , तकदीर हम सबकी बनेगी ? कौन कहता शान में , इनके बिना सही जिंदगी कटेगी ? ज्ञानपुंज के बिना क्या…

जादूगर ध्यानचंद

रूप घनाक्षरी जादूगर ध्यानचंद संगम प्रयाग भाग्य ,खुल गया तब जब, उनतीस अगस्त को, जन्म लिया नवजात। भारत माता की रक्षा,करने को लिए दीक्षा, सेनाओं की सीमा लॉंघ, हॉकी खेल…

विनायक से विनय

विनायक से विनय- गीत हे गणनायक गौरी नंदन, होकर व्यथित पुकारे। हे विघ्नेश्वर! कृपा करो अब, हर लो क्लेश हमारे।। जीवन सुखमय चाह रहे हैं, लेकिन उलझा जाए। करूँ कार्य…

पहचान बचा कर रख लेना

पश्चिमीकरण,औद्योगीकरण और नगरीकरण के बढ़ते प्रभाव के कारण हमारी ग्रामीण संस्कृति की पहचान खत्म होती जा रही है। पाश्चात्य अंधानुकरण की होड़ में हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे…