राष्ट्रीय एकता दिवस दिवस राष्ट्रीय एकता वाला। लेकर समरसता का माला।। आओ इसकी कथा सुनाएँ। सरदार पटेल से मिलवाएँ।। जन्म दिवस उनका है आज। संघटित भारत करने का काज।।…
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Through Padyapankaj, Teachers Of Bihar give you the chance to read and understand the poems and padya of Hindi literature. In addition, you can appreciate different tastes of poetry, including veer, Prem, Raudra, Karuna, etc.
बारिश और पकौड़े : बाल कविता – अवधेश कुमार
बारिश और पकौड़े : बाल कविता – अवधेश कुमार बाहर हो रही थी झमाझम बारिश, मन मे हो रही थी पकौड़े की ख्वाहिश। डर लग रहा था कैसे कहूँ…
चौसर – रुचिका
चौसर जिंदगी के चौसर पर हम रहेंबस एक मोहरेंचाल ऊपर वाला चलता रहा।कभी शह, कभी मात वह देताऔर दर्प इंसानों के मन मेंबढ़ता रहा। जिंदगी के चौसर पर हम रहेंबस…
शरद पूर्णिमा – गिरीन्द्र मोहन झा
शरद पूर्णिमा की रात सुहावन, है अति मनभावन, चंद्रमा की चांदनी, उजाला, शीतलता, है अति पावन, चंद्रदेव अमृत-वृष्टि हैं कर रहे, माँ लक्ष्मी का पूजन-अर्चन, कुलदेवी को प्रणाम निवेदित, पान-मखान…
जीवन सुंदर सरस – महामंगला छंद गीत, राम किशोर पाठक
जीवन सुंदर सरस, लगता हरपल खास। कर्म करे जो सतत, होता नहीं उदास।। हारा मन कब सफल, मन के जीते जीत। जो लेता है समझ, बदले जग की रीत।। जीत…
शरद पूर्णिमा, रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
विधाता छंदधारित मुक्तक शरद पूर्णिमा कहीं संगम कहीं तीरथ, धरा पर पुण्य बहते हैं, मगर जो आज देखेंगे, कहेंगे व्यर्थ कहते हैं। जहाॅं शंकर छुपा कर तन, किए श्रृंगार गोपी…
वक्त पूछता है, गिरीन्द्र मोहन झा
वक्त पूछता है रात्रि में शयन से पूर्व वक्त पूछता है, आज तुमने क्या-क्या अर्थपूर्ण किया, सुबह होती है जब, वक्त पूछता है, प्रिय ! आज तुम्हें करना है क्या-क्या,…
बादल, आशीष अम्बर
छोटी-छोटी बूँदें लाएँ, ये मतवाले बादल, श्वेत-स्लेटी, नीले-पीले, भूरे-काले बादल। कैसे-कैसे रूप बदलते, करते जादू-मंतर, हाथी जैसे कभी मचलते, गरजन करें निरंतर। इधर-उधर घोड़ों-से दौड़े, चाबुक वाले बादल, छोटी-छोटी…
मनहर कृष्ण- महामंगला छंद, राम किशोर पाठक
अंजन धारे सतत, कृष्ण कन्हाई नैन। देख लिया जो अगर, कैसे पाए चैन।। मूरत मनहर सुघर, मिले न कोई और। बिना गिराए पलक, देखूँ करके गौर।। श्याम सलोने सुघर, रखें…
संशय में कृष्ण- महामंगला छंद- राम किशोर पाठक
कृष्ण कन्हैया अगर, आते मिलने आज। होते विस्मित मगर, देख सभी के काज। माखन मिसरी सहज, उनको देता कौन। दुनिया दारी समझ, रहे न कोई मौन।। राधा जैसी सहज, मिलते…