पर्यावरण – मीरा सिंह “मीरा”

बंद करो वृक्षों को काटना नदियां सागर दूषित करना। वृक्ष धरा के हैं आभूषण वृक्ष लगाओ मानो कहना।। कोरे नारे नहीं लगाओ वक्त कहे कुछ काम दिखाओ। स्वच्छ रखो हवा…

इम्तिहान – विनय विश्वा

  इम्तिहान ललिता अपनी परीक्षा की तैयारी कर रही थी,और साथ ही उसकी सच्ची दोस्त साहिदा उससे कुछ प्रश्न पूछ रही थी, दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ाती थी। अब सरकार…

सिहर उठता हूँ देखकर –

अब ये दुनियाँ -दुनियाँ न रहा, सिहर उठता हूँ इस दुनियाँ को देखकर। इस दुनियाँ में हो रहे चोरी डकैती लूट- पाट, और फैल रहेझूठ,चोरी,नशा,हिंसा और व्यभिचार, सभी इसी का…

दहेज रूपी दानव – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

देश से विदेश तक, धरती अम्बर तक, सभी जगह बेटियां , छोड़ रही आज छाप। बेटियों को बेटा मान,लालन पालन करें, अपने संतान पर,गर्व भी करेंगे आप। दुनिया के लिए…

दहेज – एस.के.पूनम

नन्ही परी आज आई, घर में खुशियां लाई, आँगन में किलकारी,गूंज रही सरेआम। नूतन विचारों संग, छू ली आसमानी रंग, श्रम साध्य पूरी कर,जीती जीवन संग्राम। पाई-पाई जोड़ कर, माता…

दोहा – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

रिश्ता हो कायम सदा, भरते रहें मिठास। अपनेपन का भाव रख, करिए सुखद उजास।। ईश-याचना नित करें, रखें न कपट विचार। निर्मल मन की भावना, देती खुशी अपार।। संधिकाल के…

दोहा – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

भूप जनक के बाग में, आए राजकुमार। दिव्य मनोहर वृक्ष से, मुग्ध नयन अभिसार।। नव किसलय नव पुष्प से, हर्षित पुष्पित बाग। कीर मोर के मध्य में,कोयल छेड़े राग।। ताल…

रुपघनाक्षरी – एस.के.पूनम

सरयू के तट पर, सीताराम बैठ कर, मांझी की प्रतीक्षा कर,भक्तों का बढ़ाये मान। थाल में निर्मल जल, दृगों से गिरते आँसू, प्रभु के चरण धुले,मिले सेवा का प्रमाण। दीन-हीन…

मनहरण घनाक्षरी – एस.के.पूनम

रुपहली आभा संग, लिए हुए लाल रंग, उदित है प्रभाकर,प्रवेश उजास का । हर्षित हो वसुंधरा, इठलाते झूमे भौंरा, हरियाली देख आए,मौसम प्रवास का। आए पंछी उड़ कर, तृण लाए…