श्रावण- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

शुचि मन-भावन श्रावण आया आगत को लख हों पुलकित मन। अम्बर बादल चहुँदिशि छाया। दृश्य मनोहर बरसा-सावन।। कृषक मुदित मन गीत सुनाते रिम-झिम बूँदें हैं हर्षाती। सुमन विटप मन को…

प्यारी गुड़िया- मीरा सिंह “मीरा

नन्ही मुन्नी प्यारी गुड़िया सबकी राज दुलारी गुड़िया। तितली जैसी उड़ती फिरती खुशियों की किलकारी गुड़िया।। कभी गले से आकर लिपटी कभी खफा हो जाती गुड़िया। करके कोई नयी शरारत…

बचपन की नादानी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

कुछ शरारतें और नादानी याद जाती अपनी शैतानी, कभी सोचकर शर्म के मारे आ जाता आंखों में पानी। धमाचौकड़ी खूब थे करते गिरने पर आहें थे भरते, भैया,पापा,चाचा के अलावे…

चल मुनिया-मीरा सिंह “मीरा”

तुझमें हिम्मत बल मुनिया। चल आगे बढ़ चल मुनिया। देखेगी दुनिया सारी तुझमें कितना बल मुनिया।। अवरोधों से मत घबरा तूफानों से लड़ मुनिया। दीपक बनकर तू जलना रोशन होगा…