पृथ्वी पर जीवन का अंकुर फूटा, धरा पर हरियाली छाई है । हर जीव जगत का वंश बढ़ाने, स्त्रीत्व चरम पर आई है । माहवारी का दर्द सहा, सौंपा जीवन…
Category: प्रेम
मुखौटा-
सुंदर मुखौटा लिए चेहरे पर, ईमानदारी का रंग चढ़ाया था। ईमान बेच कर उपदेश दे रहे, गीता का कसम खाया था।। दीवारें चिख कर कुछ कह रहे थे । “आंगन…
विदाई की बेला-सुरेश कुमार गौरव
काल चक्र के समय काल को, विदा करने की भी ठानी गई चंद सेकेंड,मिनट, घंटे,पहर को, सबके द्वारा मानी भी गई। विदाई तो बहुतों की हुई, तब मन और आंसू…
मित्रता की सार्थकता-सुरेश कुमार गौरव
जब जीवन में मिलते हैं सच्चे और अच्छे मित्र मन मस्तिष्क में उभरते हैं सार्थक जीवन चित्र! मित्र है वह जो हमारे अतीत काल को जानता है हमारे भविष्य में…
प्रेम-अमरनाथ त्रिवेदी
प्रेम प्रेम से बड़े न दूजो आन । प्रेम से बड़े न दूजो आन ।। प्रेम जहाँ फलता – फूलता है , मिलता विजय , श्री, सम्मान । प्रेम बिना…
राधाकृष्ण से सीताराम बनना है प्रेम- राजेश कुमार सिंह
वह प्रेम है ही नहीं जिसका उद्देश्य शरीर को पाना है। हर युग में प्रेम का मतलब राधा-कृष्ण बन जाना है।। माता-पिता एवं गुरुजनों को भुलाकर प्रेम नहीं होता। संस्कृति…
माँ-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
सभी देवियों से बढ़कर माँ ऊंचा है तेरा दर्जा, नहीं उतार पाऊंगा कभी जीवन भर मैं तेरा कर्जा। पहली बार जो आंख खुली तब दुनिया ने भरमाया था, प्रसव वेदना…
बेटी:- अरविंद कुमार अमर
छै येहा धारना दूनिया के, बेटी पराई होते छै। पर बिना बेटियौ के जग में, तकदीर सब के सुतले छै। जब बेटी हीं नय होतै त, बेटा फेर कहाँ सेय…
बेटी धन अनमोल – कुमकुम कुमारी
मेरे जन्म से पापा क्यों डरते हो, मुख अपना मलिन क्यों करते हो? बेटी हूँ कोई अभिशाप नहीं, फिर मन को बोझिल क्यों करते हो? इस बात को पापा भूल…
फूल मनहरण घनाक्षरी-मनु कुमारी
फूल मनहरण घनाक्षरी आओ बनें हम फूल, गम सारे जायें भूल प्रेम माल बनूं मैं, देख तू संसार के! बनके सुमन हार, देश भक्त राह पडूं, देश भक्ति प्यारी मुझे,…