संविधान- लावणी छंद – राम किशोर पाठक

संविधान- लावणी छंद – राम किशोर पाठक नीति नियम का ग्रंथ यही है, जिसके सन्मुख समरस रहते। देश चलाते हैं हम जिससे, संविधान उसको कहते।। आजादी जब हमने पायी, हमको…

जिए जा रहा हूॅं- गजल  राम किशोर पाठक

  १२२-१२२-१२२-१२२ उदासी छुपाकर जिए जा रहा हूँ। तभी तो लबों को सिए जा रहा हूँ।। निगाहें जिन्हें ढूँढती है हमेशा उन्हें बेनजर अब किए जा रहा हूँ।। उधारी चुकाना…

सर्दी आई

सर्दी आई । सर्दी आई, सर्दी आई ,लेकर कंबल और रजाई ।स्वेटर , कोट और शॉलों ने,सबको दी पूरी गरमाई । पर्वत – पर्वत बर्फ गिराती,ठंडी – ठंडी हवा चलाती…

नशा छोड़िए..राम किशोर पाठक

नशा छोड़िए- गीतिका २१२२-२१२२-२१२२-२१२ त्यागिए खुद ही नशा को गर्त में मत खोइए। हो रहे बर्बाद क्यों आबाद भी तो होइए। देखिए उनको जरा करते नहीं हैं जो नशा। देखकर…

राम विवाह..रामकिशोर पाठक

राम विवाह – सरसी छंद गीत संग सभी भ्राता भी उनके, परिणय को तैयार।सिया वरण करने को आयें, सजे-धजे सुकुमार।। अगहन शुक्ल पंचमी आयी, होता राम विवाह।झूम रहे हैं सब…

आप संग रहें -रामकिशोर पाठक

आप संग रहे- छंद वार्णिक २१२-११२, २२१-२१ अंग-अंग कहे, पाया निखार। आप संग रहे, भाया विचार।। भूल चूक किया, स्वीकार नित्य। नेह युक्त अदा, आभार कृत्य। चाहते हम है, लाना…

आभूषण -रामपाल प्रसाद सिंह

मनहरण घनाक्षरी आभूषण कंदरा गुफाओं बीच,नारी रही नर खींच, कल्पना में डूबा नर ,नारी को सजाने में। पत्थरों को घिसकर,भावना से प्रेमभर, पहला ही आभूषण,आया था जमाने में। बना प्यार…

आभूषण -जैनेन्द्र प्रसाद रवि

आभूषण मनहरण घनाक्षरी छंद सदियों से मानव को, लुभाता है चकाचौंध, नर-नारी सभी को ही, आभूषण भाता है। सभी धनवान लोग, करते हैं खरीदारी, जान से भी ज्यादा प्यारा, जैसे…