आशा-फिर मुस्कुराएगा जहान-प्रियंका प्रिया

आशा

एक सकारात्मक विचार है आशा,
तो वहीं अंतर्मन का श्रृंगार है आशा।।

नकारात्मकता में सुषुप्त दीप है आशा,
अटल विश्वास का प्रतीक है आशा।।

आशा ने किया है
हर राही का राह प्रशस्त,
आशान्वित होकर राही
रहते हैं आस्वस्त।।

आशा इनको ऊर्जा देकर
बनाता है सशक्त,
आशा से ही होता है इनका मार्ग प्रशस्त।।

आशा ही जीवन नैया की
करती बेड़ा पार है,
फंसती कश्ती जब सबकी बीच मझधार है।।

आशा एक दीप्तमान लौ के समान है,
जिससे जीवन सबका बना रौशनदान है।।

आशा सबके सपनों को देता एक उड़ान है,
आशा ही दिलाता जीवन में सम्मान है।।

आशा ही जीवन का पूर्ण आधार है,
बिन इसके जीवन व्यर्थ निराधार है।।

फिर मुस्कुराएगा जहान

है अमर पुरातन गाथा,
अमर भारत महान,
कहती है ये आशा,
बदलेगा इंसान,
फिर मुस्कुराएगा जहान।।

देता है सतयुग से,
यह इतिहास प्रमाण,
कितना भी कर लो प्रपंच,
जीतेगा सत्यवान,
फिर मुस्कुराएगा जहान।।

मुश्किल आएगी तो धैर्य की
देना है पहचान,
दिखाकर अपनी विद्वत्ता
फिर मुस्कुराएगा जहान।।

धरा, गगन व सभी दिशाएँ,
हैं रहस्यमई विज्ञान,
भारत माँ की रक्षा के लिए,
जीते हैं सब जवान।।

दंभ का तुम नाश करो,
बनो न तुम बलवान,
याद रखो मिल जाना एक दिन,
मिट्टी में यह प्राण।।

सोच अपनी बदलो,
बदलो तुम तीर कमान,
रख हृदय में विश्वास,
फिर मुस्कुराएगा जहान।।

प्रियंका प्रिया
स्नातकोत्तर शिक्षिका
श्री महंत हरिहरदास उच्च विद्यालय पूनाडीह

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