अनुशासन
स्वयं का स्वयं पर अनुशासन,
कहलाता है, अनुशासन।
महत्व इसका है, बहुत बड़ा,
है मनुष्य इससे ही आगे बढ़ा।
हर क्षेत्र में है महत्व इसका,
जीवन इससे सार्थक बन जाता।
शिक्षा, खेल, चाहे हो कोई क्षेत्र।
पालन कर मनुष्य बन जाता है श्रेष्ठ।
है जीवन का प्राण अनुशासन,
करता भविष्य को उज्ज्वल।
होता जीवन इससे पूर्ण,
असफल हो जाते है सफल।
है मनुष्य सभी योनियों से भिन्न,
है कारण, विवेक, चरित्र और अनुशासन।
न हो अगर ये विशेषताएँ,
बन जायेगा सबों से निम्न।
करती हैं, चीटियाँ भी अनुशासन का पालन,
अनुशासित होकर, उड़ते है आकाश में पक्षीगण।
सूर्योदय-सूर्यास्त भी होता समय पर,
है बंधे हुए, अनुशासन में सारे नक्षत्र।
न हुआ अगर, अनुशासन का पालन,
मुश्किलें होंगी प्रारंभ।
टूट जाएगी व्यवस्था,
विचलित हो जायेगा जीवन।
है करता हमें यह मर्यादित,
होते हम व्यवस्थित।
होती क्रियायें चरणबद्ध,
हम भी होते प्रतिबद्ध।
लवली वर्मा
प्राथमिक विद्यालय छोटकी रटनी
हसनगंज, कटिहार