घटा बनके मस्त गगन में, कजरी संग झूम जाता है। “राहों के मुसाफिर” यादों में बहकर।। सपनों का ख़्वाब सजाता है, “चुपके से देख कर फूल और” कलियां मनही मनमुस्कुराती…
Author: Anupama Priyadarshini
बाल पहेलियां- मीरा सिंह “मीरा”
1 देखो दौड़े-दौड़े आएं सभी दिशा में हैं छितराएं कहीं कुछ भी नजर ना आए धुंधली धुंधली सभी दिशाएं।। 2 घर में आती दाना चुगती उड़ती फिरती नभ को छूती…
मनहरण घनाक्षरी- एस.के.पूनम
सजी-धजी है वादियां,रंग-बिरंगे फूलों से, गुलाबों की पंखुड़ियां,बिखेरी सुगंध है। देव उतरे बागों में,शीश झुकाए खड़े हैं, भींगी-भींगी अँखियाँ,खुशियाँ अगाध है। हरी-भरी है घाटियां,हरी-हरी घास दिखी, ओस पर प्रभा पड़ी,रंगो…
जीने दो खुले मन से- संजय कुमार
उन्हें उड़ने दो , नील गगन में । मादा रखते हैं जो उड़ने की , बांधो न उन्हें न दिखाओ डर गिरने का । अपने अनुभव और उम्र का, तकाजा…
3 दिसंबर- मो.मंजूर आलम
3 दिसंबर आज जन्मदिन है बाबू राजेंद्र की, इसलिए मना रहे हैं मेधा दिवस भी। शत् प्रतिशत अंक ला परीक्षक को भी चौंकाए थे, परिवार वाले फूले नहीं समाए थे।…
नशे से दूरी है जरूरी- नवाब मंजूर
नशे से दूरी है जरूरी नशा नाश का जड़ है भाई इसे छोड़ने में ही है भलाई ना सेहत बिगड़े ना हो लड़ाई घर परिवार खिल जाई बच्चों का भविष्य…
मनहरण घनाक्षरी-जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
पक्षियों ने पंख खोला,उड़ने से डाल डोला, सुगंधित मंद-मंद , बहता पवन है। सरसों के फूल खिले, खेत दिखे पीले-पीले, चारों ओर हरियाली, खिलता चमन है। दिन देखो ढल गया,…
मनहरण घनाक्षरी:-“भोर”(खण्ड-1)- एस.के.पूनम
मनहरण घनाक्षरी:-“भोर”(खण्ड-1) भोर ने बुलाया जब,रवि दौड़ा आया तब, मिटा अंधकार सब,बुलाने में हित है। खाट छोड़ दिया तब,उजियारा हुआ जब, नयनों में ज्योत अब,सुबह की जीत है। पत्तियाँ चमकी…
जुड़ जाओ स्कूल से- अमरनाथ त्रिवेदी
बैठो न बेकार कभी भी, जुड़ जाओ स्कूल से । छोड़ स्कूल तू कुछ न पाओ , न जीवन को तू व्यर्थ गँवाओ । अनपढ़ होकर तुम शरमाओ , न…
यादें- जय कृष्णा पासवान
एक -एक सिसकियां- फिजाओं की खुशबू बांट रहे थे। पल-पल इन्तजार उस धड़ी का मानों आंखें मचल रहे थे। किया ख़्वाब सजाया था, खुदा मेरे हरेक लम्हों में पुरा हो…