सर्द हवाओं का झोंका है। अम्मा ने मुझको रोका है।। कहती बाहर में खतरा है। सर्दी का पग-पग पहरा है।। देखो छाया घना कोहरा। सूरज का छिप गया चेहरा।। बूँद…
Author: madhukumari
जुआ-रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
छल सुयोधन संग लेकर,चल पड़ा दरबार में। माॅंगना है जो नियोजित,शेष अगली बार में।। पास राजा के पहुॅंचकर,चाल वैसी ही चली। दाव का विश्वास पाकर,ढाल संगत ही ढली।। हर्ष का…
छंद रचना को गहूँ-राम किशोर पाठक
विघ्न हर्ता देव हो तुम, कष्ट अपना मैं कहूँ। आज तुमसे आस मुझको, छंद रचना को गहूँ।। शब्द लाऊँ मैं कहाँ से, शिल्प कैसे मैं रचूँ। सत्य का बस हो…
शरण गहूँ दिन-रात – राम किशोर पाठक
ध्यान लगा मैं कर सकूँ, रचना की बरसात। भजन करूँ नित मातु की, शरण गहूँ दिन-रात।। शब्द पुष्प के हार से, करूँ छंद श्रृंगार। सत्य सृजन करता रहूँ, पथ पाए…
ठंड का प्रभाव-जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
तापमान गिरने से मौसम बदलने से *धीरे-धीरे ठंडक का, बढ़ता प्रभाव है।* पंछियाँ तो घोसले में- रहतीं दुबककर, *पशु छिप कर खुद, करते बचाव हैं।* अमीरों को हीटर व- गीजर…
मैं राष्ट्र धर्म को अपनाया – राम किशोर पाठक
मैं बहती बन जाऊँ सरिता मैं जीवन में लाऊँ ललिता मैं झुंड यहाँ देखूँ कितने मैं ढूँढ रहा खुद के सपने मैं उतर सकूँ गहराई में मैं अपनी ही परछाई…
माँ वर दो-राम किशोर पाठक
शीश नवाऊँ, माता के दर, माँ वर दो। रचना लाऊँ, नित्य नया कर, माँ वर दो।। शरण तुम्हारी, गहने वाले, यह कहते। वह हर्षाया, आकर दर पर, माँ वर दो।।…
आसरा पास बैठी है – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
खींचती मर्म की रेखा।। जन्म लेते जिसे देखा। आज माॅं खास बैठी है। आसरा पास बैठी है।। दर्द होने नहीं देती। मात रोने नहीं देती।। दौड़ती वो सदा आती।…
हमें नहीं डरना-राम किशोर पाठक
कभी नहीं रुकते, आगे है बढ़ना। सहज भाव कहते, हमें नहीं डरना।। आती है बाधा, अक्सर राहों में। ताकत कर पैदा, अपनी बाहों में।। दुश्मन कोई हो, डँटकर है लड़ना।…
बचपन-गिरीन्द्र मोहन झा
खेलना, मस्ती करना, बड़े-बड़े ख्वाब देखना, पढ़ाई करना, जिज्ञासु प्रवृत्ति का हो जाना, बड़े-बड़े सपने देखना, पर धरातल से सदा जुड़े रहना, समय पर पढ़ाई-लिखाई करना, सहयोग भावना रखना, अच्छी…