हे शैलसुता -डॉ स्नेहलता द्विवेदी

हे शैलसुता! हे पर्वतराज हिमाद्रि जना, हे भवभय तारिणी बृषवाहना। हे कल्याणी सती सत्य शिवा , प्रणमामि त्वयं हे शैलसुता। हे श्वेताम्बरा हे प्रेम सुधा, हे तप जप ज्ञान की…

है मान बाकी राम किशोर पाठक

है मान बाकी – शिखंडिनी छंद किसे हम कहें, बातें पुरानी। रहा कुछ नहीं, बाकी कहानी।। जिन्हें सुबह से, ढूँढा जमाना। बना अब रहे, ढेरों बहाना।। नहीं समझते जो मौन…

अब भी यूं रुका क्यों है -डॉ स्नेहलता द्विवेदी

तू अब भी यूँ रुका क्यूँ है? गुलाब कांटों से यूँ लगा क्यूँ है ? जिंदगी तेरा ये फ़लसफ़ा क्यूँ है? जो मुस्कराते हो शबनम की तरह, पलकों का रंग…

कर्मठ संस्कारी बच्चे -जैनेंद्र प्रसाद

कर्मठ संस्कारी बच्चे बाल सृजन रूप घनाक्षरी छंद में कर्मठ संस्कारी बच्चे, कहलाते हैं वे अच्छे, सबसे अलग निज, बनाते हैं पहचान। सुबह सवेरे जाग- व्यायाम करते जो, पौष्टिक आहार…

हिंदी दिवस रामपाल प्रसाद सिंह

हिंदी दिवस शिखर हिमालय से भी ऊॅंचा, हिंदी तुमको पाऊॅं मैं। तभी कहाऊॅं हिंदी भाषी, गुरुता जग समझाऊॅं मैं।। वेद पुराणों की परिभाषा, सरल बनाने तू आई। पूर्वज का इतिहास…